Who is Nambi Narayan : नंबी नारायण कौन है : Nambi Narayan Case : रॉकेट साइंटिस्ट नंबी नारायण की बायोग्राफी

Who is Nambi Narayan : Nambi Narayan kon he : नंबी नारायण की बायोग्राफी

मैं आपको ऐसे साइंटिस्ट की कहानी बताने जा रहा हूं जो भारत की शान है. जो भारत की आन है जिसने पूरी लाइफ में स्ट्रगल किया इसरो तक जाने के लिए इसरो व संस्था है. 

जो भारत की सबसे बड़ी अंतरिक्ष संस्था है. इसरो तक पहुंचने के लिए Narayan Nambi ने बहुत संघर्ष किया है वह बिल्कुल गरीब परिवार से आते थे वह जमीन से आसमान तक पहुंचे.


Nambi Nayaran क्रायोजेनिक एनर्जी के लिए काम करते थे. एनर्जी रॉकेट लोनच में यूज होती थी. इसी के जरिए हम रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजते थे.

यह लिक्विड फ्यूल की बात करता है. जिस समय Nambi Nayaran इसरो में काम कर रहे थे. उस समय इसरो बहुत से ऊंचाई को पार कर रहा था.

हमारे पास ऐसी टेक्नोलॉजी हाथ लगी थी. जो दुनिया के किसी देश के चंद्र देशों के पास ही थी. मगर इंडिया को और इसरो को पीछे करने के लिए Nambi Narayan को गलत तरीके से कैसे फसाया गया इस बारे में हम बात करेंगे.

Nambi Narayan पर यह आरोप लगे थे. कि वह अपना रॉकेट का डाटा रिसोर्सेज का डाटा पाकिस्तान को सेल कर रहे हैं. और उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला था.उन पर जासूसी कांड का भी आरोप लगाया गया था.

यह सब चीजों पर मैं आपको आगे विस्तार में बताने वाला हूं. पहले हम Nambi Narayan की शुरुआती जिंदगी पर नजर डालते हैंं.

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Nambi Narayan का जन्म 12 दिसंबर 1941 को तमिलनाडु के त्रावणकोर में हुआ था. जब इनका का भारत में जन्म हुआ था तब पूरी दुनिया में ना कोई राकेट साइंस के बारे में जानता था. ना कोई परमाणु टेक्नोलॉजी के बारे में जानता था. 

इसके 4 साल बाद अमेरिका ने मैनहैटन में परमाणु परीक्षण किया था. यह सब के बाद अमेरिका पहला परमाणु बम वाला देश बन गया.

उसके बाद सोवियत यूनियन यह दोनों के बीच में कोल्ड वर शुरू हो गई थी दोनों देश एक दूसरे को टेक्नोलॉजी में पीछे करना चाहते थे.

Nambi Narayan बहुत छोटे थे तभी उनके पिताजी का देहांत हो गया था. Nambi Narayan अपनी फैमिली के बारे में बहुत सोचते थे.

वह बहुत गरीब परिवार से आते थे. वह पढ़ने में भी बहुत होशियार थे. और मेहनती भी थे इसलिए वह आज इसरो जेसी स्पेस प्रोग्रामिंग संस्था के क्रायोजेनिक विभाग के अध्यक्ष बन गए.

अब आप सोच रहे होंगे कितने गरीब होने के बावजूद भी इतने बड़े सैंटिस कैसे बन गए इसलिए क्योंकि वह बहुत होशियार थे. स्कॉलरशिप की बदौलत वह मद्रास यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली उसके बाद वह साइंटिस्ट बन गए.

अगर किसी के मन में कुछ पाने की इच्छा हो तो चीज उसको खुद मिल जाती है मगर उसकी पाने की सच्ची इच्छा होनी चाहिए उसके साथ-साथ मेहनत और लगन भी जरूरी है. यही साबित करके Nambi Narayan ने बताया है.

Narayan Nambi सबसे पहले इसरो में इंजीनियर के तौर पर आए थे इसके बाद उन्होंने क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट पर काम किया.

 Cryogenic Energy kya hoti he :क्रायोजेनिक एनर्जी क्या होती है 

क्रायोजेनिक मूल रूप से एक फयुल लिक्विड होता है. इस फयुल लिक्विड के जरिए हम रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजते है. जलन पदार्थ के तापमान को कैसे काबू में करके उसमें से एनर्जी निकालकर उसका रॉकेट में कैसे उपयोग करते उस पर यह क्रायोजेनिक प्रोग्राम होता हैै.

यह टेक्नोलॉजी बहुत ही कीमती है. बहुत से देशों के पास यह टेक्नोलॉजी नहीं है. उदाहरण के तौर पर हम देखते अगर कोई सैटेलाइट हमको अंतरिक्ष में भेजना हो तो उसको भेजने के लिए ज्वलनशील पदार्थ लगता है.

कितनी बार यह रॉकेट आसमान में फूट जाता है. इसकी वजह से बहुत बड़ा नुकसान होता है. कुछ तो बस यही टेक्नोलॉजी है. क्रायोजेनिक जिसे हमारा राकेट के लिक्विड फॉर्म और तापमान को कैसे कंट्रोल करें.

शोर्ट में जान तो यह तकनीक ऐसे चीज पर काम करती है क्या में कोई रॉकेट भेजना है. और उसमें फ्यूल भी बराबर हो जब जले तो उसका तापमान भी बराबर हो ताकि हम रॉकेट को सही तरीके से अंतरिक्ष में भेजे.

क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी सिर्फ राकेट में ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा जगह पर यूज़ होती है. बायोलॉजी में उसका उपयोग है. सर्जरी के साधनों में उसका यूज़ होता है. लो टेंपरेचर कैसे आपके मॉलिक्यूल हलचल करेंगे उस पर यह टेक्निक डिपेंड है.

इसरो kya he : इसरो क्या है 

अब पहले इसरो की बात करते हैं. इसरो की स्थापना डॉ विक्रम साराभाई और डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा ने की थी इसरो की कामयाबी के पीछे यह 2 वैज्ञानिक का बहुत बड़ा योगदान है.

अगर यह 2 वैज्ञानिक नहीं होते तो. इसरो आज इतनी ऊंचाई पर नहीं होता. डॉ विक्रम साराभाई को स्पेस का बहुत ज्यादा नॉलेज था. तो डॉक्टर होमी बाबा को न्यू कलर का बहुत ज्यादा ज्ञान था यह दोनों की बदौलत हीं इसरो में जान आई थी.

यह सब होने के बावजूद भी भारत में बहुत परेशानी थी. भारत देश कब आजाद हुआ था. तो बहुत गरीब था. भारत में लोगों के पास खाने का भी पैसा नहीं था. तो हम फिर कैसे स्पेस की जंग लड़ते पहले के सालों में अंतरिक्ष की जंग में हमें बहुत सी तकलीफ का सामना करना पड़ा.

हमको अगर सैटेलाइट लॉन्च करना होता तो साइकिल पर भी ले जाना पड़ता था. कभी-कभी तो हम अपने सैटेलाइट बैलगाड़ी पर भी लिया करते थे.

आपने एपीजे अब्दुल कलाम का वह फोटो भी देखा होंगा जिसमें साइकिल पर एक सेटेलाइट लीजाया जा रहा है. तो आप इस परिस्थिति से अंदाजा लगा सकते हो कि भारत कितनी मुश्किलों से गुजरा है.

Nambi Narayan Case : नंबी नारायण का विवाद :

अमेरिका और रूस के बीच में कोल्ड वॉर थमा. तो सोवियत यूनियन के बहुत सारे टुकड़े हो गए थे 1990 का जमाना था. अमेरिका पूरी तरह से सुपर पावर बन चुका था.

तब हमारे पास में क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी आने वाली थी और यह टेक्नोलॉजी कुछ देशों के पास ही थी जैसे अमेरिका और रूस

रूस इस क्रायोजेनिक इंजन का बहुत बड़ी मात्रा में इस्तेमाल करता था. रूस साथ हमारा पूरा समझौता हो गया था.


क्रायोजेनिक तकनीक के बारे में पर तभी अमेरिका की सीआईए बीच में आ गई. और Nambi Narayan को गलत इंजामें फंसा दिया गया.

अमेरिका यह नहीं चाहता था कि यह टेक्नोलॉजी भारत को मिले इसलिए अमेरिका ने रूस पर बहुत दबाव डाला.


1994 मे मरियम रशीदा को अरेस्ट किया गया तब उसने नंबी नारायण का नाम ले लिया था. उसने बोला Nambi Narayan  मेरे साथ मिलें हुए हैं. नंबी नारायण ने पाकिस्तान को सारी टेक्नोलॉजी की ड्राइंग बेच दि है.


यह सब के बाद Nambi Narayan और डी शशी कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. 50 दिन तक नंबी नारायण पुलिस की कस्टडी में रहे. उनको पुलिस कस्टडी में बहुत टॉर्चर किया गया सोचो जरा इतना बड़ा हाई लेवल का साइंटिस्ट जो भारत के लिए अपनी हर चीज देने के लिए तैयार हो उसको इस तरह से टॉर्चर किया जा रहा था.

नंबी नारायण को उसके बाद लोगों द्वारा देशद्रोही कहा गया. सब लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया था. उनका यह समय बहुत ही कठिन गुजरा है.

इस घटना के बाद 90 साल के बच्चों को भी टोंट मारा जा रहा था की आप देशद्रोही  के बच्चे हो

एक बार नंबी नारायण की पत्नी भरी बरसात में फस गए थे. उन्होंने किस्सा वाले को रोका जब रास्ते में जा रहे थे. रिक्सा वाले को पता चला कि यह नंबी नारायण की पत्नी है. बिच रास्ते मे उनको उतार दिया.

उनकी पत्नी के मंदिर जाते थे पंडित प्रसाद देने से भी मना कर देता था. गली और मोहल्ले के लोग भी उनको चिढ़ाते थे. इतनी खराब हालत उनके परिवार की हो गई थी.

नंबी नारायण इस घटना के बाद पूरी तरह से टूट गए थे. वह आत्महत्या करने की सोच रहे थे. पर उनके परिवार ने उनको बहुत सपोर्ट किया और उनको कहा कि तुम इस लड़ाई में हम आपके साथ हैं. आप इस लड़ाई को लाडो.

नंबी नारायण उसके बाद पूरी तरह से कानूनी लड़ाई लड़ी और फिर जीत गए 

अप्रैल 1996 में यह केस सीबीआई को दिया गया. सीबीआई ने जब यह केस की छानबीन की तो उनको Nambi Narayan के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले. सीबीआई ने बोला नारायण बेगुनाह है मिला उसके बाद उनको रिहा कर दिया गया.

1998 मे सुप्रीम कोर्ट ने Nambi Narayan को बाइज्जत बरी कर दिया. जब Nambi Narayan को 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने बेगुनाह बताया उसके बाद मम्मी नारायण ने दूसरी लड़ाई चालू कर दी.

Nambi Narayan इसरो जैसी इतनी बड़ी संस्था के विज्ञानिक थे उन्होंने देश के लिए सब कुछ कुर्बान करने का सपना देखा था. मगर कुछ लोगों ने उनके इन सपने को चकनाचूर कर दिया था


Nambi Narayan का कहना था. कि मेरे जो 2 साल जेल में गुजरे और मेरी इज्जत खराब हुई है इसके लिए मुझे मुआवजा चाइये.

पूरे 21 साल बाद 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने Nambi Narayan को 50 लाख का मुआवजा दिया इस समय सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा थे.

पद्मा भूषण अवॉर्ड :

2019 में उनको पद्मा भूषण अवॉर्ड से भी नवाजा गया इस तरह उनका खोया हुआ वकार फिर से उन्हें दिलाने की कोशिश की गई. मगर तब भी यही सवाल आता है. कि अगर तब Nambi Narayan को फसाया नहीं जाता. तो भारत आज बहुत आगे होता.

Nambi Narayan के होते हुए भारत के पास बहुत अच्छी-अच्छी टेक्नोलॉजी आ गई थी. मगर बाहरी षड्यंत्र के वजह से भारत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ भारत में महान वैज्ञानिक के इतने सारे साल गवा दिए.

अब 2021 में उन पर एक फिल्म बन रही है जिसका नाम रॉकेटरी है जो Nambi Narayan के असल जीवन पर आधारित इस फिल्म में नंबी नारायण की जीवन कथा बताई गई है. उन्होंने इस तरह भारत के लिए और खुद के लिए संघर्ष किया.





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